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18 Apr 2025, Fri

Uniform Civil Code समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है उत्तराखंड। 27 जनवरी 2025 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में संहिता की नियमावली व पोर्टल ucc.uk.gov.in का लोकार्पण किया। इसलिए हर साल 27 जनवरी को राज्य में UCC दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

क्या है Uniform Civil Code?

संविधान में इसको लेकर क्या प्रावधान हैं? न्यायपालिका ने समय-समय पर UCC को लेकर क्या कहा है? उत्तराखंड सरकार ने जो UCC लागू किया है उसके प्रावधान क्या-क्या हैं? सब जानेंगे इस।

समान नागरिक संहिता किसी भी व्यक्ति के निजी जीवन से सम्बंधित मामलों, जैसे विवाह, तलाक, भरण-पोषण, विरासत व बच्चा गोद लेना, आदि, मुद्दों पर समानता स्थापित करता है। मतलब आप किसी भी धर्म या समुदाय से हों, इन मामलों में नियम बराबर होंगे।

Uniform Civil Code क्यों लागू किया जाना चाहिए?

क्योंकि ये बात समानता की बात करता है जो कि संविधान के अनुच्छेद 14 अर्थात कानून के आगे सभी बराबर हैं, को चरितार्थ करता है। महिलाओं को मजबूत बनाता है। बहुत सारे धार्मिक नियम ऐसे हैं जो महिलाओं के खिलाफ भेदभाव करते हैं जैसे कि तीन तलाक, सम्पत्ति में अधिकार, इत्यादि। समान नागरिक संहिता इन सब मामलों में महिलाओं के अधिकार की रक्षा करता है। अलग-अलग धार्मिक कानूनों को समेट कर एक समान नागरिक संहिता कानून को और आसान कर देगा।

नागरिक मुद्दों पर समान नागरिक संहिता विभिन्न धार्मिक पहचानों से ऊपर उठकर राष्ट्रीय एकीकरण की भूमिका अदा करेगा। कुल मिलाकर Uniform Civil Code को एक प्रगतिशील और सुधारवादी कानून के रूप में देखा जाता है। हांलांकि Uniform Civil Code को लेकर बहुत आपत्तियां भी हैं।

भारत विविधताओं से भरा देश है। अलग-अलग समुदाय, अलग संस्कृतियां। ऐसे में आरोप है कि Uniform Civil Code के आने से एकीकरण आम समुदायों को उनकी संस्कृति से वंचित कर देगा। भारत की विविधता पर चोट पहुंचेगी। आरोप ये भी है कि संविधान के अनुच्छेद 25 के धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का भी हनन होगा।

अल्पसंख्यक अधिकारों के छिन जाने का भी डर है। वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर नहीं सहेज पाएंगे ऐसा आरोप है Uniform Civil Code को लेकर। 2018 में Law Commission ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि Uniform Civil Code की न ही अनिवार्यता है और न ही आवश्यकता।

संविधान में क्या जगह है Uniform Civil Code की?

Uniform Civil Code को संविधान के अनुच्छेद 44 पर Directive Principles of State Policy यानि राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत के अंतर्गत स्थान प्राप्त है। यानि कि संविधान कहता है कि सरकार को Uniform Civil Code लागू करना चाहिए लेकिन समय की कोई बाध्यता नहीं है।

उच्चतम न्यायालय ने भी सरकार से कई बार अपील की है कि Uniform Civil Code को लागू किया जाए। और इसके उदाहरण तमाम केसेस हैं 1985 के शाह बानो केस से लेकर 2017 के शायरा बानो केस तक। तो हमने Uniform Civil Code के बारे में तमाम जानकारियां ले ली। अब जानते हैं उत्तराखंड की सरकार जो कानून लाई है उसमें क्या-क्या प्रावधान हैं?

सबसे पहली बात कि अनुसूचित जनजाति के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए उनको इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है। मुस्लिम पर्सनल लॉ से हलाला और इद्दत को बैन कर दिया गया है। महिलाओं को सम्पत्ति और विरासत में समान अधिकार दिया गया है। शादी, तलाक और यहां तक कि live-in relationships को भी सरकार के पोर्टल ucc.uk.gov.in पर रजिस्टर करना होगा।

तो उत्तराखंड सरकार ने live-in relationships को मान्यता दे दी हैं। और यहां तक कि ऐसे couple के जो बच्चे होंगे वो भी वैध कहलाएंगे और उनके पास समान विरासत के अधिकार होंगे। Live-in relationships महिला और पुरुष के बीच वो सम्बन्ध होते हैं जब वो एक-दूसरे से शादी नहीं करते हैं लेकिन एक साथ, एक छत के नीचे रहने का निर्णय करते हैं। ऐसे couples को अब रजिस्टर करना पड़ेगा।

2010 के बाद से जितनी शादीयां हुई हैं उन्हें कानून लागू होने के 6 महीने के भीतर रजिस्टर कर लेना है। और सभी नई होने वाली शादीयों को शादी के 60 दिन के भीतर रजिस्टर हो जाना है। Live-in relationships को भी कानून लागू होने के 1 महीने के भीतर लागू हो जाना है।

उत्तराखंड के UCC portal पर रजिस्टर करने के तीन तरीके हैं: आप online form fill करके submit कर सकते हैं, आप हाथ से लिखकर या type किया हुआ will अपलोड कर सकते हैं, या फिर आप एक तीन मिनट का विडियो रिकॉर्ड करके भी अपलोड कर सकते हैं।

रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की बात करें तो applications 15 दिनों के भीतर process किए जाएंगे और एमरजेंसी के केस में 3 दिन के भीतर process होंगे। Sub registrar और registrar documentation और अपील को देखेंगे। रिजेक्शन के खिलाफ अपील 30 दिन के भीतर दायर हो जानी चाहिए जिसका निपटारा अगले 60 दिन में हो जाएगा।

नियमों का उल्लंघन करने की स्थिति में पहले तो चेतावनी दी जाएगी फिर उसके बाद जुर्माना लगाया जाएगा। तो ये रहा पूरा हिसाब-किताब Uniform Civil Code को लेकर। आपको Uniform Civil Code का कौन सा प्रावधान उचित या अनुचित लगा या फिर कुछ छूट गया जो होना चाहिए था, कमेंट करके अवश्य बताएं।

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