Water Bomb: 15 June 2020 – ये वो दिन था जब भारत और चीन के बीच बॉर्डर पर संघर्ष शुरू हुआ। जगह थी लद्दाख। लगभग चार साल तक गतिरोध के बाद 2024 में जाकर मामला पूरी तरह सुलझ पाया। इसमें कितना नुक्सान हुआ और कितना फायदा ये अभी स्पष्ट नहीं है। क्या भारत ने अपनी जमीन कोई है या फिर सबकुछ 15 जून 2020 से पहले कि स्थिति पर लौट आया है अभी इसको लेकर पूर्ण स्पष्टता नहीं है।
लेकिन हमारा पड़ोसी हमें एक बाद दूसरी चुनौती देता रहता है। नहीं अबकी बार कोई आमना-सामना नहीं हुआ है सैनिकों का, कोई जान नहीं गई है। कोई अतिक्रमण भी नहीं हुआ है। इस बार चुनौती का कारण है एक बांध। जी, एक Dam. छोटा-मोटा Dam नहीं, दुनिया का सबसे बड़ा Dam। कहां बनेगा और भारत के लिए ये एक चुनौती क्यों है?
दरअसल जिस बांध की हम बात कर रहे हैं ये बनने जा रहा है ब्रह्मपुत्र नदी पर, तिब्बत के मेडौग क्षेत्र में, भारतीय सीमा से लगभग 30 किलोमीटर दूर।
137 बिलियन डॉलर की किमत का ये डैम दुनिया का सबसे बड़ा डैम होगा। आपको बता दूं कि अबतक का सबसे बड़ा डैम Three Gorges Dam भी चाइना में ही स्थित है।
ये डैम Namcha Barwa Peak के पास Great Bend पर बनेगा। Great Bend वो sharp मोड़ है जहां ब्रह्मपुत्र नदी U-turn लेने के बाद भारत के अरूणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है। यहां पर नदी कम-से-कम 2000 metre के ढलान पर नीचे की ओर आती है। जिस कारण इस क्षेत्र में डैम बनाना विद्युत उत्पन्न करने के दृष्टिकोण से बहुत लाभदायक है लेकिन उतना ही अधिक चुनौतीपूर्ण भी है और अपनेआप में engineering कुशलता की मिसाल भी हो सकती है।
ऐसा अनुमान है कि ये डैम बनने के बाद सालाना तिब्बत को 20 बिलियन युआन यानि 3 बिलियन डॉलर की कमाई करके देगा। वहीं बिजली उत्पादन की बात करें तो सालाना 300 बिलियन kWh का उत्पादन होगा। कि Three Gorges Dam से तिगुना बिजली उत्पन्न करने की क्षमता रखेगा। चीन का कहना है कि ये डैम उसके स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करेगा।
आपको बता दूं कि ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत में मानसरोवर लेक के पास Chemayungdung ग्लैशियर से निकलती है। चाइना में इस नदी को Yarlung Zangbo के नाम से जाना जाता है। फिर नामचा बारवा पर्वत के पास U-turn लेते हुए ये अरूणाचल के सादिया जिले में प्रवेश करती है। और फिर बांग्लादेश में होते हुए बंगाल की खाड़ी में drain हो जाती है। भारत में ब्रह्मपुत्र और बांग्लादेश में इस नदी को जमुना के नाम से जाना जाता है। भूटान से उद्गम होने वाली कुछ नदियां भी ब्रह्मपुत्र में आकर मिल जाती हैं।
अब भारत के लिए ये डैम चिन्ता का विषय क्यों है? क्योंकि भारत को डर है कि चीन इस डैम का इस्तेमाल water bomb के तौर पर कर सकता है। Water bomb? अब ये क्या होता है?
Water bomb यानि चीन बहुत अधिक क्षमता में पानी को रोक कर रख सकता है और बिना बताए इस पानी को एकसाथ छोड़ सकता है। ऐसा करने पर भारत में बाढ़ के कारण तबाही हो सकती है और इससे जान-माल दोनों का भारी नुक्सान होगा। न केवल भारत में बल्कि बांग्लादेश पर भी संकट आ सकता है।
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इसके अलावा चीन ब्रह्मपुत्र नदी के पानी का अपने हिसाब से मनमाना इस्तेमाल भी कर सकता है। जिसके कारण भारत और बांग्लादेश में पानी की किल्लत हो सकती है।
आपको बता दूं कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा पार करने वाली नदियों के सम्बंध में पानी का बराबर और उचित उपयोग करने के लिए एक संधि भी है जिसका नाम है United Nations Convention on Non-Navigational Uses of International Watercourses। लेकिन दु:ख की बात ये है कि भारत इस संधि का हवाला भी नहीं दे सकता है चीन के खिलाफ क्योंकि भारत तो इस संधि को स्वीकार कर चुका है लेकिन चाइना ने नहीं किया है।
एक बड़ा खतरा और है। वो है प्राकृतिक आपदा का खतरा। पूरा हिमालय अस्थिर क्षेत्र है। यहां किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा आ सकती है। और ये डैम ऐसी जगह बन रहा है जहां पर धरती के दो tectonic plates आपस में converge करते हैं। जिसके कारण इस क्षेत्र में इतना बड़ा project बनाना बहुत जोखिम का काम है। जब चाइना का Three Gorges Dam बनकर तैयार हुआ तो लगभग 14 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा था। और कितने जीव जंतु गायब हो गए उसका तो कोई हिसाब ही नहीं। अब हम सोच सकते हैं कि हिमालय के ऊपर बनने जा रहे इस डैम से प्रकृति का कितना विनाश होने जा रहा है।
तो इस पूरे मसले पर भारत के पास क्या उपाय है?
भारत और चीन ने 2006 में Expert Level Mechanism (ELM) स्थापित किया था जिसके अंतर्गत चीन भारत को सतलूज और ब्रह्मपुत्र नदियों के hydrological data यानि पानी सम्बंधित जानकारियां साझा करेगा। हालांकि चीन चाहे तो इसका पालन न भी करे।
भारत चीन के इस डैम को counter करने के लिए अरूणाचल में एक डैम बनाने की योजना में है। ये डैम भी अपनेआप में एक विशाल डैम होगा। हालांकि प्रकृति के दृष्टिकोण से ये दोनों ही डैम बहुत हानिकारक साबित होंगे।
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