Savitri Bai Phule: आज सावित्री बाई फूले जी का जन्मदिवस है। 3 जनवरी 1831 मे जन्म हुआ था सावित्री जी का। उन्हें भारत की पहली महिला शिक्षिका भी कहा जाता है। 1831 से 1897 के अपने जीवनकाल के दौरान उन्होंने अनेकों महिलाओं, विधवाओं और दलित बंधुओं को शिक्षित करने व सम्मान दिलाने का प्रयास किया। मैं आपको बता सकता हूं उनके जीवनकाल के महत्वपूर्ण पहलू, उनके संघर्ष और हार न मानने की गाथा।
यही तरीका भी है किसी हस्ती को याद करने का। लेकिन जो बात गौर करने की है वो ये कि सावित्री जी ने जिन उद्देश्यों के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। आज उनके देहांत के करीब सवा सौ साल बाद भी ये देश उन रूढ़िवादी, दकियानूसी सोच और संस्कृति से बाहर नहीं निकल पाया है।

Census 2011 के अनुसार 82% पुरूषों की तुलना में मात्र 65% महिलाएं ही शिक्षित हैं। शिक्षा का स्तर क्या है उसपे तो बात भी मत करिए। Labour force participation rate के अनुसार 2021-22 में 77% पुरूषों की तुलना में मात्र 32% महिलाएं ही नौकरी करती हैं।
महिलाओं के खिलाफ हिंसा की बात करें तो National Crime Records Bureau की report के अनुसार 2022 में महिलाओं पर हिंसा के मामलों में 2021 की तुलना में 4% बढ़ोतरी हुई है। 2022 में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 4,45,256 cases register किए गए। इनमें से सबसे अधिक मामले पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा हिंसा के अंतर्गत दर्ज हैं। प्रति लाख महिला जनसंख्या में crime rate 2021 में 66.4 हो गया है जो 2021 के 64.5 से अधिक है।
National Family Health Survey-5 के अनुसार अकेले अपने नाम घर होने के मामले में जहां पुरुष 36% हैं तो महिलाएं मात्र 13% हैं। अकेले अपने नाम पर जमीन होने के मामले में पुरुष 22% हैं तो महिलाएं मात्र 8% हैं। और हमें अच्छे से पता है कि महिला के नाम पर घर या जमीन होती है तो वो केवल tax बचाने के लिए किया जाता है वरना घर और जमीन को लेकर सारे निर्णय तो पुरुष ही लेता है। मोबाइल फोन 91% पुरुषों के पास है तो मात्र 53% महिलाओं के पास अपना मोबाइल फोन है। बैंक में अकाउंट 85% पुरूषों की तुलना में 78% महिलाओं के पास है।
इंटरनेट का उपयोग करने की बात आती है तो 54% पुरुषों की तुलना में मात्र 33% महिलाएं ही इंटरनेट का उपयोग कर पाती हैं। वहीं संसद में प्रतिनिधित्व की बात करें तो लोकसभा में मात्र 15% महिला सांसद हैं तो राज्यसभा में ये संख्या और कम होकर 13% है।
महिला न शिक्षित है, न घर है, न जमीन है, न मोबाइल है, न इंटरनेट इस्तेमाल करना जानती है। नेता नगरी के गालियों की बात ही छोड़ दीजिए। वहां महिला दिख जाए तो चरित्र हनन होते देर नहीं लगेगी।
ले-देकर महीला घरों में रोटीयां सेक रही है, बच्चे पैदा कर रही है। और दो कौड़ी के घटिया सीरीयल देख लेती है। गहनों से लाद दिया जाता है, कि अनपढ़ हो, बेरोजगार हो फर्क नहीं पड़ता लेकिन सुंदर दिखो। श्रंगार ही तो स्त्री की शोभा है। यहां सुंदरता से आशय चरित्र की सुंदरता नहीं है, बल्कि और अधिक कामुक होना है।
बधाई हो ऐसी मानसिकता और परिवेश को बढ़ावा देकर हम काबिल हो गए हैं सावित्रीबाई फुले जी को जन्मदिवस पर याद करने के लिए। फिर लक्ष्मीबाई को भी याद करेंगे। और विभिन्न त्योहारों पर लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा, काली व अन्य देवीयों की पूजा भी करेंगे।
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