Cyber fraud : उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। साइबर अपराधियों का एक ऐसा गिरोह पकड़ा गया है, जो पिछले 10 वर्षों से लोगों को चाइनीज लोन एप्स के जरिए फंसा रहा था, और फिर ब्लैकमेल कर करोड़ों की वसूली कर रहा था। इस फ्रॉड का सबसे डरावना पहलू यह है कि वसूला गया पैसा पाकिस्तान भेजा गया और शक जताया जा रहा है कि यह पैसा आतंकवादी गतिविधियों में इस्तेमाल हो सकता है।
धोखाधड़ी का तरीका
यह पूरा खेल शुरू होता था गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद चाइनीस लोन एप से। यह ऐप शून्य ब्याज पर लोन देने का झांसा देते थे। लेकिन जैसे ही कोई व्यक्ति लोन लेने के लिए ऐप डाउनलोड करता था, एप उसके फोन का डाटा एक्सेस कर लेता था जिसमें फोटो, कॉन्टटैक्ट्स, मैसेज, और अन्य निजी जानकारियां शामिल होती थी। उसके बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके उस व्यक्ति की फर्जी अश्लील फोटो या वीडियो तैयार की जाती थी और फिर शुरू होता था ब्लैकमेल का खेल।
कैसे किया जाता था पैसा ट्रांसफर ?
Cyber fraud : ब्लैकमेल किए गए लोगों से पैसा यूपीआई से ऐसे खातों में मंगवाया जाता था जो गरीब लोगों के नाम पर खोले गए थे। फिर वह पैसा दिल्ली स्थित सरगना तक पहुंचाया जाता था, जहां से उसे पार्सल नकद, या क्रिप्टो करेंसी के जरिए पाकिस्तान भेजा जाता था। बलरामपुर पुलिस की जांच से खुलासा हुआ है कि सिर्फ़ एक साल में पाकिस्तान के 30 खातों में 8 करोड़ रुपए ट्रांसफर किया गया।
AI और टेक्नोलॉजी का गलत इस्तेमाल
Cyber fraud : यह गिरोह लोगों की पर्सनल फोटो को AI की मदद से फर्जी अश्लील कंटेंट बनाता था। फिर लोगों को ब्लैकमेल कर 10 से 50000 तक वसूले जाते थे। कई मामलों में तो लोग शर्मिंदगी के दर से पैसे देते रहे और किसी से शिकायत तक नहीं की।
कहां-कहां फैला नेटवर्क ?
दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, बंगाल, असम और महाराष्ट्र में साइबर फ्रॉड का ये जाल फैला हुआ है।
अब तक की कार्रवाई
Cyber fraud : बलरामपुर पुलिस ने अब तक चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। सरगना दिल्ली में बैठकर पूरे नेटवर्क को ऑपरेट करता था। आरोपी: प्रदीप कुमार, सत्यदेव, लवकुश, जयप्रकाश FIR दर्ज, विदेशी खातों की जांच जारी PMLA और टेरर फंडिंग एक्ट के तहत केस दर्ज होने की तैयारी।
जांच का ट्रिगर कैसे हुआ ?
Cyber fraud : 17 जुलाई को बलरामपुर के थाना ललिया में एक संदिग्ध ट्रांजैक्शन की सूचना मिली। 18 जुलाई को FIR हुई 23 जुलाई को SOG (Special Operations Group) को जांच सौंप दी गई। शुरुआती जांच में चार लोग गिरफ्तार हुए जमानत पर छूटते ही फिर से उन चारों को हिरासत में लेकर पूछताछ हुई, और यहीं से इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश हुआ।
सरकार और जनता के लिए चेतावनी
यहां मामला बताता है कि डिजिटल लोन और डाटा लिंक कितना खतरनाक हो सकता है। चाइनीस लोन एप से दूरी बनाना जरूरी है। साथ ही सरकार प्ले स्टोर से ऐसे एप्स को तुरंत हटाने की जरूरत है। या सिर्फ एक अपराध नहीं, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला बन चुका है।
700 करोड़ से इस Cyber fraud में टेरर फंडिंग की जांच अब राष्ट्रीय एजेंसीया कर सकती हैं। सवाल सिर्फ इतना नहीं की लोगों को कैसे लूटा गया, सवाल ये भी हैं कि यह पैसा भारत विरोधी ताकतों तक कैसे और कितने वर्षों से पहुंचता रहा।
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