Caste Census 2025: आने वाली जनगणना यानि Census में जातिगत जनगणना भी कराई जाएगी। जी, सही सुना आपने। बहुत समय से राजनीतिक गलियारों में मांग की जा रही थी जातिगत जनगणना की। वो मांग केंद्र सरकार ने पूरी कर ली है। राजनीतिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में ये निर्णय लिया गया। बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी कमेटी के बैठक में शामिल रहे।
जातिगत जनगणना कराए जाने की जानकारी केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दिया। जानकारी देते वक्त उन्होंने कांग्रेस पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से जितने भी Census हुए उनमें Caste Census नहीं कराया गया। 2011 में कांग्रेस की सरकार ने एक Caste Survey कराया था न कि Caste Census जिसे SECC (Socio Economic and Caste Census) कहते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि संविधान के अनुच्छेद 246 के अनुसार Census सातवीं अनुसूची के संघ सूची का हिस्सा है। मतलब 7th schedule के union list का हिस्सा है census। इसका ये भी मतलब है कि राज्यों के पास अधिकार नहीं है जनगणना कराने का, केवल केंद्र सरकार ही करा सकती है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने caste सर्वे कराए हैं केवल राजनीतिक दृष्टिकोण से जिसने समाज में भ्रम पैदा कर दिया है। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए और ये सुनिश्चित करने के लिए कि सामाजिक धागा राजनीति के कारण disturb न हो जातिगत जनगणना को पारदर्शिता के साथ जनगणना में जोड़ा जाना चाहिए बजाए कि सर्वेज़ में। ये हमारे समाज के सामाजिक और आर्थिक ढांचे को मजबूत करेगा जबकि राष्ट्र तरक्की करना जारी रखेगा।
जातिगत जनगणना क्या है?
जाति जनगणना एक जनसंख्या-आधारित सर्वेक्षण है जो किसी क्षेत्र या देश की जातिगत संरचना से संबंधित आंकड़े एकत्र करता है। इसमें विभिन्न जाति समूहों का वितरण, उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति, शैक्षणिक स्तर और संबंधित पहलुओं की जानकारी शामिल होती है। इसका प्रमुख उद्देश्य है विभिन्न जातियों की demographic और developmental profile को समझना यानि किन क्षेत्रों में किन जातियों का कितना विकास हो पाया है। ताकि इसी आधार पर नीति निर्माण, संसाधनों के वितरण और सकारात्मक कार्रवाई से संबंधित सरकारी निर्णयों को सूचित किया जा सके।
स्वतंत्रता के बाद सरकार ने भारतीय नागरिकों को सामाजिक और शैक्षिक मानदंड के आधार पर चार वर्गों में चिन्हित किया – अनुसूचित जाति (Scheduled caste), अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe), अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Class) और सामान्य (General)।
जनगणना की बात करें तो 1951 से लेकर 2011 तक जितनी भी जनगणनाएं हुईं उनमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से सम्बंधित डेटा एकत्रित किया जाता है और पब्लिश होता है लेकिन ऐसा अन्य जातियों के संदर्भ में नहीं होता है। जबकि ब्रिटिश शासन के दौरान 1931 तक जितनी भी जनगणनाएं हुईं उनमें जाति आधारित डेटा की जानकारी सम्मिलित होती थी। खैर अंग्रेजों का उद्देश्य ही बिल्कुल उल्टा था – divide and rule, बांटो और राज करो। ये हम मान कर चल रहे हैं कि केवल अंग्रेजों की ही मंशा थी Divide and Rule की, हमारे वर्तमान राजनीतिक दलों और नेताओं की मंशा हमें जाति के आधार पर बांट कर सत्ता पर काबिज होने की बिल्कुल नहीं है।
2011 में सरकार ने Socio Economic Caste Census (SECC) आयोजित की, जिसका उद्देश्य व्यापक जातिगत डेटा एकत्र करना था। हालांकि, डेटा की सटीकता को लेकर उठे सवालों के कारण इसके परिणामों को औपचारिक रूप से कभी जारी नहीं किया गया।
जाति जनगणना राजनितिक ने क्या कहा?
केंद्र सरकार में सरकार के सहयोगी दल – JDU के प्रमुख नितिश कुमार ने कहा, “जाति जनगणना कराने का केंद्र सरकार का फैसला स्वागतयोग्य है। जाति जनगणना कराने की हमलोगों की मांग पुरानी है। यह बेहद खुशी की बात है कि केन्द्र सरकार ने जाति जनगणना कराने का निर्णय किया है। जाति जनगणना कराने से विभिन्न वर्गों के लोगों की संख्या का पता चलेगा जिससे उनके उत्थान एवं विकास के लिए योजनाएँ बनाने में सहूलियत होगी। इससे देश के विकास को गति मिलेगी। जाति जनगणना कराने के फैसले के लिए माननीय प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी का अभिनंदन तथा धन्यवाद।”
राहुल गांधी ने भी X पर ट्वीट करते हुए लिखा, “कहा था ना, मोदी जी को ‘जाति जनगणना’ करवानी ही पड़ेगी, हम करवाकर रहेंगे! यह हमारा विज़न है और हम यह सुनिश्चित करेंगे कि सरकार एक पारदर्शी और प्रभावी जाति जनगणना कराए। सबको साफ़-साफ़ पता चले कि देश की संस्थाओं और Power Structure में किसकी कितनी भागीदारी है। जाति जनगणना विकास का एक नया आयाम है। मैं उन लाखों लोगों और सभी संगठनों को बधाई देता हूं, जो इसकी मांग करते हुए लगातार मोदी सरकार से लड़ाई लड़ रहे थे – मुझे आप पर गर्व है।”
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी X पर अपने दिवंगत पिता मुलायम सिंह यादव का संसद में जातिगत जनगणना के पक्ष में बोलते हुए एक विडियो पोस्ट किया और लिखा, “नेता जी ने संसद में जातिवार जनगणना का मुद्दा केंद्र की हर सरकार में पुरज़ोर तरीक़े से उठाया था क्योंकि वो जानते थे कि जाति की गणना न कराने से कमज़ोर-पिछड़ों के अधिकारों की हक़मारी की जा रही है। नेता जी अत्याचार, उत्पीड़न, शोषण और पिछड़ेपन के दंश को जानते थे और ये मानते थे कि जब तक सरकारों को झकझोरा और जगाया नहीं जाएगा, तब तक परंपरागत शक्तिशाली लोग न तो सत्ता में किसीको हिस्सा देंगे, न उनका अधिकार।
उन सब समाजवादी नेताओं को सादर नमन जिन्होंने इसके लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। ये सामाजिक न्याय और सामाजिक सशक्तीकरण के सभी गणमान्य विचारकों के निरंतर संघर्ष की जीत है और उनकी करारी हार जो सौ साल से इसे नकारने का षड्यंत्र रचते रहे।
ये INDIA की जीत है।”
जातिगत जनगणना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा है। अब केंद्र सरकार ने निर्णय ले लिया है कि आगे होने वाले जनगणना में जातिगत जनगणना भी कराई जाएगी।
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