Mizoram Prohibition of Beggary Bill 2025: अक्सर हम और आप जब घर से निकलते हैं तो रास्ते में भिखारी दिखते हैं जो हमसे पैसे मांगते हैं, भोजन मांगते हैं। हममें भी इन भिखारियों को देख कर तरह-तरह के भाव आते हैं। कुछ लोग एकदम भावुक होकर उन्हें चंद रुपए या खाने को कुछ दे देते हैं। कुछ लोग इन भिखारियों को भगा देते हैं ये कहकर कि ये देश पर बोझ हैं, इन्हें खुद कमाकर खाना चाहिए, इनका syndicate चलता है, इत्यादि।
वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो संशय में रहते हैं कि मदद करें या नहीं। क्या इसको वास्तव में मेरे भीख की आवश्यकता है या ये ढोंगी है। कहीं मैं इसे भीख देकर इसकी आदत तो नहीं बिगाड़ रहा? कहीं मैं भीख देकर शहर में भिखारियों की संख्या बढ़ाने में भागीदार तो नहीं बन रहा? ये समस्या और अधिक बढ़ जाती है जब भीख मांगने बच्चे आ जाते हैं। न कहें भी नहीं बनता और अगर भीख दे दूं तो बहुत छोटी उम्र में ही इस बच्चों को मुफ्त का खाने की लत पड़ जाएगी और इससे देश का ही विनाश होगा।
भीख मांगने पर प्रतिबंद
दरअसल मिज़ोरम की विधानसभा में एक विधेयक प्रस्तुत हुआ है। ये विधेयक प्रस्तुत किया मिज़ोरम सरकार में समाज कल्याण मंत्री लालरिनपुई ने। क्या है विधेयक? विधेयक का नाम है – मिजोरम भिक्षावृत्ति निषेध विधेयक, 2025। अंग्रेजी में बोलें तो Mizoram Prohibition of Beggary Bill, 2025। जी, नाम से ही समझ आ रहा है। मिज़ोरम सरकार अपने राज्य में भिक्षावृत्ति यानि भीख मांगना बंद करने जा रही है। और विपक्ष की आपत्ति के मध्य विधेयक मिज़ोरम विधानसभा से पास भी हो चुका है। विधेयक तो पास हो गया किंतु उन भिखारियों का क्या होगा जो मिज़ोरम में हैं?

समाज कल्याण मंत्री लालरिनपुई ने बुधवार को सदन में विधेयक पेश करते हुए इस महत्वपूर्ण सवाल का जवाब दिया और कहा कि इसका उद्देश्य केवल भीख मांगने पर रोक लगाना नहीं है बल्कि भिखारियों को स्थायी आजीविका विकल्प प्रदान करके उनकी सहायता और पुनर्वास करना भी है।
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उन्होंने मिजोरम में बढ़ती भिक्षावृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि हमारा राज्य बहुत भाग्यशाली है, यहां की सामाजिक संरचना, चर्चों और गैर सरकारी संगठनों की भागीदारी के साथ राज्य में लागू की जा रही कल्याणकारी योजनाओं के कारण राज्य में भिखारियों की संख्या बहुत कम है। उन्होंने जानकारी दी कि समाज कल्याण विभाग द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य की राजधानी आइजोल में गैर-स्थानीय लोगों सहित 30 से अधिक भिखारी हैं।
दरअसल मिज़ोरम सरकार के इस विधेयक लाने के पीछे की वजह एक रेलवे स्टेशन है। ऐसा रेलवे स्टेशन जिसका अभी तक उद्घाटन भी नहीं हुआ है। हम बात कर रहे हैं सैरांग-सिहमुई रेलवे स्टेशन की। इस रेलवे स्टेशन का उद्घाटन 13 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा। मिज़ोरम सरकार का मानना है कि इस रेलवे स्टेशन की शुरुआत के बाद से मिजोरम में दूसरे राज्यों से भिखारियों के आने की आशंका बढ़ जाएगी।
सरकार एक राज्य स्तरीय ‘राहत बोर्ड’ का गठन करेगी, जो भिखारियों को अस्थायी रूप से रखने के लिए ‘रिसीविंग’ केंद्र स्थापित करेगा। उन्होंने कहा कि भिखारियों को पहले ‘रिसीविंग’ केंद्र में रखा जाएगा और 24 घंटे के भीतर उन्हें उनके मूल घरों या राज्यों में भेज दिया जाएगा।
ये तो सरकार का पक्ष है। इस पर विपक्ष का क्या कहना है?
Mizoram Prohibition of Beggary Bill, 2025 का विरोध
विपक्ष ने विधेयक का विरोध किया है। मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) के नेता लालचंदमा राल्ते सहित विपक्षी सदस्यों ने कहा कि यह विधेयक ईसाई धर्म के लिए हानिकारक है और राज्य की प्रतिष्ठा को धूमिल करेगा। विधेयक को विधानसभा द्वारा लम्बी चर्चा के बाद पारित किया गया।
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