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19 Apr 2025, Sat

मनरेगा मजदूरों को दिहाड़ी भी नहीं दे पा रही सरकार, 13 हज़ार करोड़ रूपए का बकाया 

मनरेगा

यदि आप एक मजदूर हैं जो मनरेगा के तहत काम करता है तो आपकी प्रतिदिन की दिहाड़ी करीब 200 से 350 रूपए के बीच होगी। ये विविधता निर्भर करती है कि आप किस राज्य से हैं। भाई अब दिक्कत ये है कि केंद्र सरकार जिसके पास जिम्मेदारी इन मजदूरों को उनका मेहनताना देने की, वो भी नहीं कर पा रही। केंद्र सरकार के पास पैसे नहीं हैं या क्या वजह है कि एक मजदूर मनरेगा के तहत अपनी दिहाड़ी नहीं ले पा रहा है।

हाल ही में तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन के सवाल के जवाब में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान ने बताया कि केंद्र सरकार के पास मनरेगा के तहत 31 जनवरी तक कुल ₹13,718.65 करोड़ रूपए का बकाया है जो उसे 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को देने हैं। और इसमें से 7,072 करोड़ रूपए तो मात्र दिहाड़ी मजदूरी है।

बिहार के 1,570.33 करोड़ रूपए केंद्र सरकार के पास बकाया है जिसमें 729.79 करोड़ रूपए दिहाड़ी मजदूरी हैं। राज्यसभा में दी गई जानकारी के अनुसार सबसे अधिक दिहाड़ी बकाया तमिलनाडू का है जो 1,697 करोड़ रूपए है। दूसरे नम्बर पर आता है उत्तर प्रदेश जिसका कुल दिहाड़ी बकाया 1,282 करोड़ रूपए है।

मनरेगा कर्मचारियों का मेहनताना केंद्र सरकार द्वारा Direct Benefit Transfer के माध्यम से उनके बैंक खाते में किया जाता है। हालांकि केंद्र सरकार ने ये जानकारी नहीं दी कि कितने समय से बकाया लगा हुआ है।

ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान का कहना है कि मनरेगा एक मांग आधारित रोजगार स्कीम है और fund release एक सतत प्रक्रिया है।

अब मनरेगा की बात हो रही है तो जान लेते हैं क्या है ये पूरी स्कीम।

मनरेगा यानि Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act 2005। ये एक कानून है जो केंद्र सरकार द्वारा लाया गया वर्ष 2005 में। क्यों लाया गया? क्योंकि इस कानून के माध्यम से सरकार भारत के ग्रामीण नागरिकों के लिए “काम करने के अधिकार” को सुनिश्चित करना चाहती थी। इसके तहत सरकार किसी भी ग्रामीण परिवार के एक सदस्य को बिना कुशलता वाले साधारण शारीरिक काम मुहैया कराएगी वो भी साल के कम-से-कम 100 दिनों के लिए। सरकार का उद्देश्य है कि वो ग्रामीण नागरिकों को रोजगार दिलाए और साथ ही उनके आर्थिक उत्थान में सहायता करे।

मनरेगा के तहत काम पाने के लिए क्या पात्रता होनी चाहिए?

  • सबसे पहले आप भारत के नागरिक होने चाहिए,
  • दूसरा आप एक ग्रामीण परिवार से होने चाहिए,
  • तीसरा आपकी आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए और
  • चौथा आप unskilled यानि बिना कौशल का काम करने के लिए तैयार रहने चाहिए।

इस स्कीम की विशेषता ये है कि यदि आपको काम के लिए दिए आवेदन के 15 दिनों के भीतर काम नहीं मिला तो पहले 30 दिनों तक आपको न्यूनतम दिहाड़ी का एक-चौथाई भाग बेरोजगारी भत्ता के तौर पर मिलेगा। और उसके बाद 1/2 भाग बेरोजगारी भत्ता मिलेगा। पेमेंट का हिसाब ये रहता है कि आपको साप्ताहिक पेमेंट की जाती है और 15 दिन से अधिक देर नहीं की जा सकती। देर होने पर compensation का भी प्रावधान है। शिकायत भी की जा सकती है और शिकायत का निपटारा 7 दिन के भीतर हो जाना चाहिए।

हालांकि इस नियम का कितना पालन हो रहा है वो हम देख सकते हैं। शायद यही एक नियम है जिसकी वजह से सरकार ये बताने से बच रही है कि कितने समय से बकाया लगा हुआ है।

ये रही मनरेगा को लेकर जानकारी। इस पूरे मुद्दे पर आपकी क्या राय है कमेंट करके अवश्य बताएं। क्या गरीब मजदूर जो प्रतिदिन के तनख्वाह पर अपनी रोटी खाते हैं, उनके मेहनत के पैसों को अदा करने में देरी करना उचित है? और देरी होने पर उचित प्रावधानों का उपयोग क्यों नहीं हो रहा है? इन सवालों के जवाब सरकार को देने होंगे।

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