Annual Status of Education Report: कौन सी कक्षा में पढ़ता है आपका बच्चा? अपनी कक्षा अनुसार पढ़ना, लिखना और सामान्य जोड़, घटाना, गुणा, विभाजन कर पाता है या नहीं? ऐसा इसलिए पूछ रहा हूं क्योंकि ASER – Annual Status of Education Report 2024 आ गई है।
NGO प्रथम फाउंडेशन हर वर्ष ये रिपोर्ट लेकर आती है। इस रिपोर्ट का उद्देश्य ये बताना है कि ग्रामीण भारत में शिक्षा को लेकर क्या trend चल रहे हैं, चुनौतियां क्या हैं, फोकस क्या है और कवरेज कितना है। 2024 में हुआ ये सर्वे 605 ग्रामीण जिलों के 17,997 गांवों तक पहुंचा जिसमें 3 से 16 आयु वर्ग के 649,491 बच्चों ने भाग लिया।
तीन फोकस एरिया रहे इस सर्वे के –
पहला – enrollment – माने कितने बच्चों ने एडमिशन लिया।
दूसरा – learning outcome – इसके अंतर्गत बच्चों के पढ़ने की क्षमता और बेसिक अर्थमेटिक की जानकारी ली जाती है।
तीसरा – digital literacy – इसके अंतर्गत बड़े बच्चों की smartphone skills, जैसे कि alarm लगाना, browse करना और मैसेज भेजना, इसकी जानकारी ली जाती है।
अब आते हैं मेन मुद्दे पर। रिपोर्ट क्या कहती है? ग्रामीण भारत में शिक्षा का स्तर क्या है? सबसे पहले pre-primary स्तर की बात करते हैं। 3 से 5 का आयु वर्ग आता है इसके अंतर्गत। 2018 के बाद से pre-primary स्तर पर enrollment बढ़े हैं। जिनमें तकरीबन 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र जाते हैं। और लगभग एक-तिहाई बच्चे प्राइवेट स्कूलों में जाते हैं।
दूसरे नम्बर पर elementary स्तर की बात करते हैं। इसके अंतर्गत 6 से 14 आयु वर्ग के बच्चे आते हैं। Elementary education बहुत महत्वपूर्ण होता है बच्चों के लिए जो लगभग 6 की उम्र से शुरू होता है। यही उम्र है जब बच्चे की औपचारिक शिक्षा प्रारम्भ होती है। इस दौरान बच्चे का शारीरिक, बौद्धिक, भावनात्मक और सामाजिक विकास बहुत तेजी से होता है।
रिपोर्ट कहती है कि elementary स्तर पर enrollment 2022 में 98.4 प्रतिशत से से घटकर 2024 में 98.1 प्रतिशत रह गया है। वहीं सरकारी स्कूलों में ये घाटा अधिक है जो 72.9 प्रतिशत से घटकर 66.8 प्रतिशत रह गया। Reading और arithmetic skills की बात करें तो 2024 में तीसरी कक्षा के मात्र 23.4 प्रतिशत बच्चे ही दूसरी कक्षा की किताबें पढ़ पाए। 2024 में कक्षा 8 के मात्र 45.8 प्रतिशत बच्चे बेसिक अर्थमेटिक समस्याओं को सुलझा पाए।
तीसरे नम्बर पर बड़े बच्चों की बात करते हैं जिनकी आयु 15 से 16 वर्ष है। इस आयु वर्ग में dropout rate 7.9 प्रतिशत है। लेकिन लड़कियों का dropout rate थोड़ा अधिक 8.1 प्रतिशत है। स्मार्टफोन के उपलब्धता की बात करें तो 14 से 16 की आयु के लगभग 90 प्रतिशत बच्चों के लिए स्मार्टफोन उपलब्ध हैं जिनमें लड़के 85.5 प्रतिशत हैं तो लड़कियां मात्र 79.4 प्रतिशत हैं।
हालांकि इनमें से मात्र 57 प्रतिशत बच्चे ही स्मार्टफोन का उपयोग पढ़ाई करने के लिए करते हैं और 76 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो स्मार्टफोन सोशल मीडिया चलाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इस तरीके से बौद्धिक, समाजिक और भावनात्मक विकास हो रहा है हमारे बच्चों का।
Digital safety की बात करें तो 62 प्रतिशत बच्चों को block करना आता है और करीब 55.5 प्रतिशत बच्चे ये जानते हैं कि profile private कैसे की जाती है।
इसके अलावा रिपोर्ट बताती है कि करीब 1.5 लाख स्कूल ऐसे हैं जिनमें ठीक से बिजली नहीं आती। 67,000 स्कूल जिनमें से 46,000 स्कूल ऐसे हैं जिनमें toilets काम नहीं कर रहे। केवल 33.2 प्रतिशत सरकारी विद्यालय ही हैं जिनमें disabled-friendly toilets हैं। मात्र 43.5 प्रतिशत सरकारी विद्यालय ऐसे हैं जिनमें पढ़ाने के लिए computers उपलब्ध हैं। प्राइवेट स्कूलों में ये संख्या 70.9 प्रतिशत है।
Teacher Student Ratio की बात करें तो भारत में करीब एक लाख ऐसे विद्यालय हैं जहां मात्र एक शिक्षक हैं, मात्र एक। ये रहे कुछ आंकड़े जो Annual Status of Education Report 2024 हमारे सामने प्रस्तुत करती है। इस रिपोर्ट से हमें निश्चित हो जाना चाहिए कि विश्व गुरु बनने की राह पर कितनी तेजी से हम आगे बढ़ रहे हैं। भले ही इस मिशन में हम अपने बच्चों को ही गुरु न दिला पाएं।
पीने का पानी नहीं है, toilet की सुविधा नहीं है, बिजली नहीं है, शिक्षक नहीं हैं, computers नहीं हैं, बच्चे पढ़ नहीं पा रहे, सामान्य जोड़, घटाना नहीं आता उन्हें। लेकिन फर्क किसे पड़ता है? महाकुम्भ की खबरों के बीच ये रिपोर्ट दबी रह गई और शायद competitive परिक्षाओं में मात्र कुछ सवालों के रूप में प्रासंगिक बनकर रह जाएगी। इस पूरी रिपोर्ट पर आपकी क्या राय है, हमें कमेंट करके अवश्य बताएं।
Read Also:-